Thursday, December 25, 2014

Aaj kal ki Ladkiyan!!

आजकल की लड़कियाँ भी !!! 

बस पूछो मत...
सहनशक्ति तो बिल्कुल भी नहीं...

बर्दाश्त तो कर ही नहीं सकती ...
छोटे - बड़े का लिहाज ही नहीं ...

अरे चार बातें सुन लेंगी तो क्या हो जायेगा !!!

रिश्ते तो चुप होकर निभा ही नहीं सकती...
तलाक दे दो फिर भी जीती हैं...

छोड़ दो अकेले फिर भी बच्चे पाल लेती हैं...
धोखा दे दो फिर नई शुरुवात करती हैं ...
बेशरम कहीं की !!!

एक हमारा जमाना था ... 

डांट लो,सुना लो, मार लो,पीट लो,गाली दो,बलात्कार कर लो,

दहेज़ के लिए जला दो, वंश ना बढ़ पाने पर छोड़
दो या फिर कुछ और ...

कुछ भी कर लो.. सुनकर
भी बहरी हो जाती थी, समाज के डर से चुपचाप
घर बैठ जाती थी या मर जाती थी ...

पर ये आजकल की लडकियाँ नियमों ,

कानूनों की पोटली सर पर लेकर चलती हैं ...

जरा कुछ
कहा नहीं कि नियमों की फेहरिस्त मुँह पर ही फेंकती हैं... 

अब इन्हें कौन समझाए कि औरत का दूसरा नाम " सहना " है¡

"सहो फिर भी खुश रहो "( The slogan ) 

पर जरा सी बात हुयी नहीं कि रूठ जाती हैं ...

बिल्कुल बत्तमीज हैं ...

पर वो तो भला हो उन बेचारी अनपढ़ अबलाओं
का जो आज भी चुपचाप सहती हैं ...

बड़ी अच्छी होती हैं वो वाली,समझदार भी , और निहायती ढीठ भी ...

कितना भी टॉर्चर करो ... 

मुँह पर फेविकोल लगाकर बैठती हैं खैर ... 

इन बत्तमीज लड़कियों की क्या गलती !!!

उन्हें क्या पता था ... 

रास्ते में पहाड़ भी गिरना हैं !

असल में लड़कियों की सहूलियत के लिए होना ये
चाहिए कि... 

एक किताब लिखकर उन्हें
कम्पल्सरी पढ़ाई जाई ...

जिसमे उन्हें " सहने " ,खुद
को " बदलने ( रहना ,खाना,कपड़ा,परिवार
आदि ) और चुप रहने के तरीके सिखाये जायें ....

अरे ... ये कठोर कदम अगर जल्दी ना उठाया तो "

सशक्तिकरण " बढ़ जायेगा ,बलात्कार कैसे होंगे !!
घरेलू हिंसा कैसे करेंगे !!
दहेज़ लेना बंद हो जायेगा !!
सुनेगी नहीं ,सहेगी नहीं ,डरेगी नहीं ....

फिर ...
हमारा क्या होगा !!

" ये आजकल की लडकियाँ भी "
( अगली बार ये बोलने ( आजकल की लडकियाँ ) से
पहले सोचें )

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