Thursday, May 28, 2015

ये बचपन क्यों बार बार नहीं आता

कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता

सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलाने
अब तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता

वो पक्के रंग, वो पिचकारियां, वो गुलाल
अब वो वैसा होली का त्यौहार नहीं आता

वो करतब जमूरे के, वो साइकल चैम्पियन
अब गली में कोई ऐसा फनकार नहीं आता

वो जिद खिलोने की वो चॉकलेट के लिए लड़ना
अब वो पापा की डांट माँ का इंकार नहीं आता

वो होमवर्क के लिए मार वो टीचर से चुगली
खुदा ये बचपन क्यों बार बार नहीं आता....